Yashasvi Jaiswal: संघर्ष, सफलता और सवालों से भरी एक चमकती पारी

Yashasvi Jaiswal की कहानी ऐसी ही है — फिल्मी भी, सच्ची भी और आंखें नम कर देने वाली भी। भारत में क्रिकेट एक धर्म है, और खिलाड़ी देवता से कम नहीं माने जाते। लेकिन जब कोई खिलाड़ी झोपड़ी में सोकर, पानी पूरी बेचकर, और सड़कों पर रातें काटकर टीम इंडिया तक पहुंचता है — तो वो सिर्फ खिलाड़ी नहीं, एक प्रेरणा बन जाता है।

Yashasvi Jaiswal

बचपन – जब सपनों से बड़ी थी भूख

यशस्वी जायसवाल का जन्म 28 दिसंबर 2001 को उत्तर प्रदेश के सुरियावां, भदोही जिले में हुआ। उनके पिता भूपाल जायसवाल एक छोटी सी हार्डवेयर दुकान चलाते थे। घर में छह बच्चे, सीमित आमदनी और अनगिनत परेशानियाँ। लेकिन यशस्वी को सिर्फ एक चीज़ चाहिए थी — क्रिकेट।

10 साल की उम्र में वो अकेले मुंबई चले गए — सिर्फ एक बैग, एक सपना और पेट भरने के लिए संघर्ष।


मैदान पर सोना, पानी पूरी बेचना – संघर्ष की वो पिच

मुंबई में शुरू में कोई ठिकाना नहीं था। आज़ाद मैदान में एक टेंट में रहने लगे, जहां ग्राउंड के माली उन्हें थोड़ी मदद कर देते।
भूख लगी तो पानी पूरी बेची, नींद आई तो मैदान के कोने में अखबार बिछाकर सो गए।

सोचिए, एक बच्चा जो स्कूल में होना चाहिए था, वो क्रिकेट के जुनून में सब कुछ छोड़ चुका था। कई बार भूख लगी, कई बार खुद से सवाल किया — “क्या सही कर रहा हूं?” लेकिन हार नहीं मानी।


टैलेंट का धमाका – जब बल्ला बोला

साल 2019 में यशस्वी जायसवाल ने अंडर-19 वर्ल्ड कप में धमाकेदार प्रदर्शन किया और सबकी नजरों में आ गए।
फिर आया वो दिन जिसने सब कुछ बदल दिया —
विजय हजारे ट्रॉफी में 203 रनों की पारी खेली और List A क्रिकेट में डबल सेंचुरी लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बन गए।

इसके बाद IPL में उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा और धीरे-धीरे उन्हें मौका मिलने लगा।


टेस्ट डेब्यू – पहली ही पारी में शतक!

जुलाई 2023 में Yashasvi Jaiswal ने भारत की टेस्ट टीम में डेब्यू किया और वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ अपनी पहली ही पारी में शतक ठोक दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ उनका स्कोरबोर्ड — “Yashasvi Jaiswal – 171 runs”
उसके बाद से उन्हें ‘फ्यूचर विराट’ और ‘लेफ्ट-हैंडेड सहवाग’ तक कहा जाने लगा।


क्या हर सफल कहानी के पीछे कुछ अनकहे सवाल होते हैं?

कुछ आलोचकों का कहना है कि यशस्वी को जल्दी स्टार बना दिया गया। IPL में एक-दो सीज़न अच्छे गए लेकिन क्या वो टेस्ट क्रिकेट में खुद को लगातार साबित कर पाएंगे?

कुछ लोग ये भी कहते हैं कि उनकी संघर्ष की कहानी को मीडिया ने ‘ओवर रेट’ किया, ताकि ब्रांड वैल्यू बढ़ाई जा सके।

क्या ये सब हकीकत है या एक इमोशनल नैरेटिव, जो टीआरपी और स्पॉन्सर के लिए बुना गया?

Yashasvi Jaiswal पर बनेगी फिल्म?

अब खबरें हैं कि यशस्वी की ज़िंदगी पर एक बायोपिक बनाई जा सकती है।
राइटर, डायरेक्टर और प्रोडक्शन हाउस उनसे संपर्क में हैं।
एक लड़का जो फुटपाथ से इंडिया की ब्लू जर्सी तक पहुंचा — इससे ज़्यादा फिल्मी क्या होगा?

यशस्वी जायसवाल आज भी ज़मीन से जुड़े हैं;

आज Yashasvi Jaiswal मुंबई में रहते हैं, लेकिन हर इंटरव्यू में अपने संघर्ष का जिक्र करते हैं।
वो आज भी हर जीत के बाद भगवान का धन्यवाद करते हैं और अपने माता-पिता को फोन करते हैं।

उनकी सोच साफ है – “मैं क्रिकेट खेलता हूं नाम के लिए नहीं, सपना पूरा करने के लिए।”


Yashasvi Jaiswal नाम की ये पारी लंबी चलेगी?

Yashasvi Jaiswal की कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, एक सपने की है जो भूख, नींद, तानों और अकेलेपन से लड़कर जीता गया है।
वो आज भले ही चमक रहे हों, लेकिन उनकी चमक के पीछे की मेहनत को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

क्या यशस्वी जायसवाल नाम की ये पारी लंबी चलेगी?

यशस्वी जायसवाल की कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, एक सपने की है जो भूख, नींद, तानों और अकेलेपन से लड़कर जीता गया है।
वो आज भले ही चमक रहे हों, लेकिन उनकी चमक के पीछे की मेहनत को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

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