Waves Summit 2025: प्रधानमंत्री मोदी का संदेश – “इंसानियत ही असली तरक्की है”

नई दिल्ली: Waves Summit 2025 एक ऐसा मंच बनकर सामने आया, जहां दुनिया के कोने-कोने से आए लोग, खासकर युवा, वैज्ञानिक, नेता और समाजसेवी एक साथ जुटे। इस बार का सम्मेलन जितना तकनीक और इनोवेशन पर केंद्रित रहा, उतना ही इंसानियत और मूल्यों की बात भी सामने आई। इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण रहा – भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का दिल को छू लेने वाला भाषण।

Waves Summit 2025

क्या है Waves Summit 2025?

Waves Summit हर साल होने वाला एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जहां विज्ञान, तकनीक, समाज, शिक्षा, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर बातचीत होती है। Waves Summit 2025 के सम्मेलन की थीम थी – “मानवता और नवाचार के नए रास्ते”।

इस मंच पर विचारों का मंथन होता है, जहां युवा अपने आइडियाज रखते हैं और बड़े नेता और विशेषज्ञ उन्हें आगे बढ़ाने की दिशा दिखाते हैं।

मोदी जी का खास संदेश – इंसानियत को न भूलें Waves Summit 2025 के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण दिया, जो सबके दिल को छू गया।

उन्होंने कहा कि:“हम आज तकनीक के युग में जी रहे हैं। हमारे पास हर चीज का समाधान मोबाइल या मशीन में मिल जाता है, लेकिन असली सवाल यह है – क्या हमारे पास संवेदनशीलता है? क्या हम दूसरों का दर्द समझते हैं?”

मोदी जी ने चेताया कि अगर तकनीक का गलत इस्तेमाल हुआ, तो यह समाज को जोड़ने के बजाय तोड़ सकता है।

युवाओं को सही दिशा जरूरी

प्रधानमंत्री ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज की नई पीढ़ी के पास बहुत ताकत है, लेकिन उसी ताकत को ग़लत दिशा में मोड़ना बहुत आसान हो गया है।

उन्होंने कहा: “सोशल मीडिया, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का गलत इस्तेमाल असहिष्णुता बढ़ा सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने बच्चों को सिर्फ स्मार्टफोन चलाना न सिखाएं, बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार, सोच और संवेदनशीलता भी दें।”

तकनीक और दिल – दोनों जरूरी हैं

मोदी जी ने कहा कि भारत मून मिशन, स्पेस टेक्नोलॉजी, डिजिटल पेमेंट्स जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ चुका है, लेकिन अगर समाज में एक-दूसरे के प्रति भावना नहीं बची, तो यह तरक्की अधूरी है।

उन्होंने एक बेहद असरदार लाइन कही:“हमारे पास डाटा है, लेकिन क्या हमारे पास दिल है?”

यह पंक्ति सुनकर पूरे हॉल में तालियों की गूंज सुनाई दी।

भारत की भूमिका – जोड़ने वाला देश

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत हमेशा से “वसुधैव कुटुंबकम्” यानी पूरी दुनिया को एक परिवार मानने वाली सोच के साथ चला है। जब दुनिया आज कई हिस्सों में बंटी हुई है – भाषा, रंग, धर्म, तकनीक और राजनीति के नाम पर – तब भारत की जिम्मेदारी बनती है कि वह सबको जोड़ने का काम करे।

उन्होंने डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया जैसे अभियानों का ज़िक्र करते हुए बताया कि भारत कैसे तकनीक को जनकल्याण से जोड़ रहा है।

Waves Summit 2025: दुनिया भर से मिली सराहना

मोदी जी का भाषण न सिर्फ भारत के लोगों को पसंद आया, बल्कि अमेरिका, फ्रांस, जापान और अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों ने भी उनकी बातों की तारीफ की। कई युवा प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें अब तकनीक से आगे सोचने की प्रेरणा मिली है।

इंसान पहले, मशीन बाद में

Waves Summit 2025 ने हमें ये सिखाया कि तकनीक कितनी भी आगे क्यों न चली जाए, लेकिन इंसानियत, भावनाएं और आपसी समझ सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश सिर्फ एक भाषण नहीं था, बल्कि एक दिशा थी – आने वाली पीढ़ियों को संवेदनशील, जिम्मेदार और मूल्य-आधारित समाज की ओर ले जाने की।

आज जब चारों तरफ नफरत, हिंसा और तनाव बढ़ रहे हैं, ऐसे में एक ऐसा नेतृत्व जो इंसानियत की बात करे, वो किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं।

“तकनीक हमारा सहारा है, लेकिन इंसानियत ही हमारा रास्ता है।”

Waves Summit 2025 की यही सबसे बड़ी सीख रही।

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