Siddaramaiah का व्यवहार हाल ही में एक सार्वजनिक रैली में चर्चा का विषय बन गया है। राजनीति में एक नेता का व्यवहार, खासकर जनता और सरकारी कर्मचारियों के साथ कैसा है, यह बहुत मायने रखता है। जनता अपने नेताओं से उम्मीद करती है कि वे समझदारी, संयम और सम्मान के साथ पेश आएं। लेकिन हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री Siddaramaiah की एक हरकत ने सभी को चौंका दिया।

28 अप्रैल 2025 को कोप्पल जिले में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने एक पुलिस अधिकारी की ओर गुस्से में हाथ उठाया। ये घटना कैमरे में कैद हो गई और सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गई। हालांकि थप्पड़ नहीं मारा गया, लेकिन इस इशारे ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया – क्या एक जिम्मेदार नेता को ऐसा बर्ताव करना चाहिए?
क्या हुआ था Siddaramaiah के 2कार्यक्रम में?
कोप्पल में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। सुरक्षा के लिए पुलिस की व्यवस्था की गई थी। जब मुख्यमंत्री मंच पर पहुंचे, तो उन्हें भीड़ में अव्यवस्था दिखाई दी। इसी दौरान एक पुलिस अधिकारी उनके पास आया, और तभी S अचानक गुस्से में आ गए।
उन्होंने उस पुलिसकर्मी की ओर हाथ उठाया, जो थप्पड़ मारने जैसा इशारा लग रहा था।यह सब कैमरे में रिकॉर्ड हो गया और कुछ ही घंटों में वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस पर लोगों की राय बंट गई – कुछ ने मुख्यमंत्री की आलोचना की, तो कुछ ने इसे ‘भावनात्मक प्रतिक्रिया’ कहकर उनका पक्ष लिया।
सोशल मीडिया पर मिलीजुली प्रतिक्रिया
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई लोगों ने कहा कि एक मुख्यमंत्री से ऐसा व्यवहार बिल्कुल भी शोभा नहीं देता। उन्हें संयम और समझदारी से पेश आना चाहिए था। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि कार्यक्रम में अव्यवस्था थी और हो सकता है मुख्यमंत्री उस स्थिति से नाराज हुए हों।
लेकिन सवाल यह उठता है – क्या एक जन नेता को अपने गुस्से पर काबू नहीं रखना चाहिए?
विपक्ष ने साधा निशाना
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री पर हमला बोल दिया। भाजपा और जेडीएस के नेताओं ने Siddaramaiah पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। एक नेता ने तो यह भी कह दिया, “जो अपने ही पुलिसकर्मी की इज्जत नहीं करता, वह आम जनता का क्या ख्याल रखेगा?”
विपक्ष की मांग है कि मुख्यमंत्री इस घटना पर माफी मांगें और अधिकारियों के साथ ऐसा व्यवहार दोबारा न करें।
मुख्यमंत्री की सफाई
घटना के बाद Siddaramaiah ने सीधे तौर पर माफी तो नहीं मांगी, लेकिन उन्होंने सफाई जरूर दी। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था सही नहीं थी और इसी वजह से वह नाराज हो गए।
उनका कहना था कि किसी को अपमानित करने का उनका इरादा नहीं था।हालांकि, यह सफाई न तो जनता को और न ही प्रशासन को संतोषजनक लगी।
नेता को चाहिए संयम और धैर्य
एक मुख्यमंत्री का कर्तव्य सिर्फ योजनाएं बनाना और भाषण देना नहीं होता, बल्कि यह भी होता है कि वे संयम और धैर्य के साथ सबको साथ लेकर चलें। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर आम नागरिक तक, हर कोई नेता के व्यवहार से प्रभावित होता है। ऐसे में अगर कोई मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंच पर गुस्से में हाथ उठाए, तो यह संदेश जाता है कि वह अपने पद की गरिमा को नहीं समझते।इस तरह की घटनाएं प्रशासनिक अधिकारियों का मनोबल तोड़ सकती हैं, और इससे कामकाज पर भी असर पड़ सकता है।
जनता क्या सोचती है?
जनता आज जागरूक है। वह सिर्फ वादों से नहीं, बल्कि नेताओं के व्यवहार से भी अपना मत तय करती है। सिद्धारमैया जैसे अनुभवी नेता से यह उम्मीद की जाती है कि वे हर स्थिति में शांति बनाए रखें और अपने पद की मर्यादा में रहें।लोगों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है, तो यह जरूरी है कि वह जनता और सरकारी कर्मचारियों दोनों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें।
Siddaramaiah को इस घटना से सबक लेना चाहिए और आगे से ऐसे किसी भी बर्ताव से बचना चाहिए, जिससे जनता और प्रशासन दोनों की भावना आहत हो।
आखिरकार, एक सच्चा जन नेता वही होता है जो समझदारी, सहनशीलता और गरिमा के साथ अपने पद का निर्वहन करे।