“मोदी को क्यों बुलाया गया G7 Summit 2025 में? क्या कनाडा को भारत की ज़रूरत है?”

क्या मोदी का कनाडा दौरा सिर्फ G7 Summit 2025 के लिए है? या चल रहा है कूटनीतिक ‘डैमेज कंट्रोल’?

G7 (ग्रुप ऑफ सेवन) की स्थापना 1975 में हुई थी, जब दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित अर्थव्यवस्थाओं—अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और कनाडा—ने मिलकर वैश्विक आर्थिक संकटों से निपटने के लिए एक मंच बनाया। बाद में यूरोपीय संघ को भी इसमें स्थायी भागीदार के रूप में शामिल किया गया।

प्रारंभ में G7 Summit 2025 का फोकस आर्थिक मुद्दों पर था, लेकिन समय के साथ इसमें जलवायु परिवर्तन, वैश्विक सुरक्षा, आतंकवाद और तकनीकी विकास जैसे मुद्दे भी शामिल हो गए। यह सम्मेलन हर साल किसी एक सदस्य देश में आयोजित होता है और वैश्विक नीतियों को आकार देने में अहम भूमिका निभाता है।

G7 Summit 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 10 साल बाद एक बार फिर कनाडा की धरती पर कदम रख चुके हैं। लेकिन इस बार ये दौरा सिर्फ एक औपचारिक विदेश यात्रा नहीं है—इस बार मामला कुछ ज्यादा गंभीर, संवेदनशील और रणनीतिक नजर आता है।

पुराना जख्म: खालिस्तानी विवाद और रिश्तों में दरार;

याद कीजिए, 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या के बाद भारत-कनाडा संबंध बुरी तरह बिगड़ गए थे। कनाडा के उस वक्त के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सीधे तौर पर भारत पर आरोप लगाया कि उसकी एजेंसियां इस हत्या में शामिल हैं। इसके बाद भारत ने कड़ा जवाब देते हुए कनाडा के राजनयिकों को देश से निकाल दिया, वीज़ा सेवाएं बंद कीं और दोनों देशों के रिश्ते ‘ठंडे युद्ध’ जैसे हो गए।

G7 Summit 2025: नया चेहरा, नई उम्मीद?

अब 2025 में तस्वीर बदली है। ट्रूडो की विदाई के बाद कनाडा को नया प्रधानमंत्री मिला है—मार्क कार्नी। एक पूर्व अर्थशास्त्री और राजनीति में नए खिलाड़ी कार्नी ने अपने पहले बड़े कूटनीतिक कदम के रूप में प्रधानमंत्री मोदी को G7 Summit 2025 के लिए विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है।

G7 Summit 2025 , यानी दुनिया के सात सबसे ताकतवर देशों का क्लब—अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, कनाडा और यूरोपीय संघ। भारत इसका सदस्य नहीं है, लेकिन 2019 से लगातार G7 समिट में अतिथि के रूप में भारत की मौजूदगी रहती है, क्योंकि अब भारत एक वैश्विक शक्ति बन चुका है।

दौरे की टाइमिंग और राजनीतिक मायने;

प्रधानमंत्री मोदी इस दौरे पर केवल 23 घंटे के लिए कनाडा में हैं, लेकिन इस कम समय में उनके कार्यक्रम बेहद व्यस्त हैं। द्विपक्षीय बैठकों से लेकर विशेष सेशनों तक, मोदी की मौजूदगी ना सिर्फ G7 Summit 2025 एजेंडे को गंभीरता देगी, बल्कि यह संकेत भी देगी कि भारत को अब वैश्विक मंचों पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

G7 Summit 2025 में रूस-यूक्रेन युद्ध, ईरान-इज़राइल तनाव और वैश्विक व्यापार युद्ध जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें भारत की भूमिका अहम मानी जा रही है। मोदी यहां ऑपरेशन सिंधु के जरिए आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट करेंगे।

कूटनीतिक जंग से व्यापारिक मजबूरियां;

अब बात करें असली वजह की—क्या कनाडा सच में रिश्ते सुधारना चाहता है या यह केवल आर्थिक मजबूरी है?

2024 में भारत-कनाडा के बीच कुल व्यापार 8.6 अरब डॉलर से ज्यादा रहा। खास बात यह है कि सेवाओं (services) के मामले में भारत कनाडा का बड़ा ग्राहक है। शिक्षा, वित्त, सलाहकार सेवाएं, हेल्थ रिसर्च और ट्रैवल सेक्टर में भारत का योगदान कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है।

शिक्षा: 3 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ते हैं, जो अरबों डॉलर का योगदान करते हैं।

कंसल्टिंग और फाइनेंस: भारतीय कंपनियां कनाडा की सलाहकार और फाइनेंशियल फर्म्स की सेवाएं लेती हैं।स्वास्थ्य और रिसर्च: बायोटेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर के क्षेत्र में भारत-कनाडा की साझेदारी चलती रहती है।

क्या कनाडा भारत पर निर्भर है?

सीधा जवाब है—हां। विशेष रूप से शिक्षा, हेल्थ और स्किल्ड वर्कफोर्स के मामले में कनाडा भारत पर निर्भर है। भारत से आने वाले स्टूडेंट्स और वर्कर्स कनाडा के कई सेक्टर्स को चलाने में मदद करते हैं। और अब जबकि पश्चिमी देश चीन से दूरी बना रहे हैं, भारत को नए सहयोगी के तौर पर देखा जा रहा है।

मोदी-कार्नी मुलाकात: नए युग की शुरुआत?

G7 Summit 2025 के दौरान पीएम मोदी और पीएम कार्नी की आमने-सामने मुलाकात संभावित है। यही वो मौका है जहां दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघल सकती है। यह दौरा एक कूटनीतिक ‘रीसेट बटन’ की तरह काम कर सकता है।

हालांकि अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि इस दौरे के नतीजे आने वाले महीनों में भारत-कनाडा रिश्तों की दिशा तय करेंगे। क्या दोनों देश फिर से पुराने भरोसे की राह पर लौटेंगे? या रह जाएगा सिर्फ एक औपचारिक मुस्कान?

भारत और कनाडा के बीच बीते साल जो दरार आई थी, उसे भरना आसान नहीं होगा। लेकिन G7 Summit 2025 में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी और कनाडा की नई सरकार की पहल यह दर्शाती है कि दोनों देश अब ‘रिश्तों की राजनीति’ को नए नजरिए से देखना चाहते हैं।

Leave a comment