देशभर में “Bageshwar Dham सरकार” के नाम से मशहूर पंडित धीरेंद्र शास्त्री को आज हर कोई जानता है। कहीं लोग उन्हें चमत्कारी बाबा कहते हैं, तो कहीं उन्हें एक गहरा प्रचारक। उनके चाहने वाले उन्हें भगवान के दूत की तरह मानते हैं, वहीं आलोचक उन्हें एक ‘स्क्रिप्टेड शो’ का हिस्सा कहते हैं। लेकिन सवाल ये है—क्या धीरेंद्र शास्त्री सच में चमत्कार करते हैं या ये सिर्फ एक बना-बनाया भ्रम है?
निजी जीवन से शुरुआत;
Bageshwar Dham धीरेंद्र शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में हुआ था। उनका असली नाम है धीरेंद्र कृष्ण गर्ग। उनका परिवार बेहद सामान्य था, पिता मंदिर में पुजारी थे और मां गृहिणी। आर्थिक हालात कठिन थे लेकिन धर्म और आस्था की शिक्षा बचपन से ही उन्हें मिली।
धीरेंद्र को शुरू से ही रामकथा, भक्ति गीतों और धार्मिक ग्रंथों में गहरी रुचि थी। उन्होंने छोटी उम्र में ही कथावाचन शुरू कर दिया और धीरे-धीरे Bageshwar Dham के जरिए देशभर में पहचान बना ली।

यूट्यूब और Bageshwar Dham का चमत्कारों का दावा;
धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन और “दरबार” अब यूट्यूब पर भी लाखों लोग देखते हैं। उनका यूट्यूब चैनल तेजी से बढ़ा है और उनके हर वीडियो पर लाखों व्यूज़ आते हैं।
उन्होंने अपने दरबार में “चित्ठियाँ पढ़ने” और “लोगों का अतीत बताने” जैसी चीजें करके दावा किया कि ये “ईश्वरीय कृपा” है।
उनके कई वीडियो ऐसे हैं जहाँ वो बिना किसी से बातचीत किए, उनके परिवार, बीमारी या निजी बातें बता देते हैं — और यही वीडियो सबसे ज्यादा वायरल होते हैं। फैंस कहते हैं – “ये चमत्कार है।” पर सवाल उठता है — क्या ये चमत्कार सच में होते हैं या सब पहले से तय होता है?
Bageshwar Dham: विवाद और विरोध;
धीरेंद्र शास्त्री को सबसे ज़्यादा सुर्खियां तब मिलीं जब नागपुर के एक अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने उन्हें चैलेंज किया कि अगर वह सच में चमत्कार कर सकते हैं तो सबके सामने कर दिखाएं।
शास्त्री ने यह चुनौती स्वीकार तो की, लेकिन विरोधियों का कहना है कि वो खुली चुनौती से बचते रहे। इसी वजह से मीडिया और सोशल मीडिया पर उन्हें लेकर भारी बहस शुरू हो गई।
Bageshwar Dham के यूट्यूब वीडियो पर अक्सर लोग ये सवाल करते हैं कि क्या ये सब स्क्रिप्टेड है? क्या पहले से भक्तों की जानकारी ली जाती है और फिर मंच पर नाटकीय अंदाज़ में चमत्कार दिखाया जाता है?
“मंत्रियों ने कहा — ये चमत्कार नहीं, मानसिक कला है”
“What he’s doing is mentalism. You cannot call it a miracle… he’s spreading superstition, he’s spreading lies,”
— मानसिक कला विशेषज्ञ Suhani Shah
Reddit से प्रतिक्रियाएँ
“All self‑proclaimed godmen are conmen.”
— “हर आत्म-घोषित बाबा ठग हैं।
विवाद और विरोध Bageshwar Dham;
धीरेंद्र शास्त्री को सबसे ज़्यादा सुर्खियां तब मिलीं जब नागपुर के एक अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने उन्हें चैलेंज किया कि अगर वह सच में चमत्कार कर सकते हैं तो सबके सामने कर दिखाएं।
शास्त्री ने यह चुनौती स्वीकार तो की, लेकिन विरोधियों का कहना है कि वो खुली चुनौती से बचते रहे। इसी वजह से मीडिया और सोशल मीडिया पर उन्हें लेकर भारी बहस शुरू हो गई।
उनके यूट्यूब वीडियो पर अक्सर लोग ये सवाल करते हैं कि क्या ये सब स्क्रिप्टेड है? क्या पहले से भक्तों की जानकारी ली जाती है और फिर मंच पर नाटकीय अंदाज़ में चमत्कार दिखाया जाता है?
सोशल मीडिया पर दो ध्रुव;
Bageshwar Dham के धीरेंद्र शास्त्री को सोशल मीडिया पर एक ओर तो लोग ‘बाबा’ कहकर पूजते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें ट्रोल भी किया जाता है। ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर उनके नाम से हजारों फैन पेज हैं, लेकिन उतनी ही संख्या में आलोचना करने वाले लोग भी हैं।
कुछ वीडियो में देखा गया है कि उनके प्रवचन में राजनीतिक रंग भी घुला होता है, जिससे यह सवाल उठता है — क्या धर्म का इस्तेमाल विचारधारा फैलाने के लिए हो रहा है?
श्रद्धा बनाम सवाल;
धीरेंद्र शास्त्री का नाम अब सिर्फ एक संत का नहीं, बल्कि एक सोशल फिनॉमिना बन चुका है।
जहाँ करोड़ों लोग उन्हें पूजते हैं, वहीं लाखों लोग उन्हें चुनौती भी दे रहे हैं।
यही लोकतंत्र की खूबसूरती है — श्रद्धा रखने का अधिकार भी है और सवाल उठाने का भी।
Bageshwar Dham बाबा सवालों के घेरे में क्यों?
हाल ही में Bageshwar Dham सरकार, यानी धीरेंद्र शास्त्री, की विदेश यात्रा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। कभी दुबई की चमकदार गलियों में, तो कभी लंदन के आलीशान होटलों में नजर आने वाले बाबा सवालों के घेरे में हैं।
ये वही बाबा हैं जो मंच से लोगों को मोह-माया से दूर रहने की सलाह देते हैं, लेकिन खुद महंगी गाड़ियों, ब्रांडेड कपड़ों और फाइव स्टार सुविधाओं का लुत्फ उठा रहे हैं। क्या एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु को दुनिया की भौतिक चकाचौंध में इस कदर खो जाना चाहिए? क्या जनता की श्रद्धा और दान से कमाया धन इसी तरह विदेश की सैर-सपाटे में उड़ाया जाना चाहिए? ये सवाल आज हर जागरूक व्यक्ति के मन में उठ रहे हैं।
आखिर क्या है जनता के सवाल ?
तो क्या धीरेंद्र शास्त्री सच में दिव्य शक्तियों से जुड़े हैं या सिर्फ एक आकर्षक वक्ता जो भीड़ को अपनी बातों में बांधना जानते हैं?
क्या उनका उद्देश्य लोगों को ईश्वर से जोड़ना है या अपने प्रभाव को बढ़ाना?क्या बाबा का उद्देश्य हिन्दू-मुस्लिम के बीच विवाद फैलाना है?
क्या बाबा के पास सच में कोई चमत्कारी शक्ति है?
क्या ये वही बाबा हैं जो खुद विदेशों में महंगी चीज़ों और लग्ज़री जगहों पर घूमते हैं?
क्या ये वही संत हैं जो लोगों को मोह-माया से दूर रहने की सलाह देते हैं, लेकिन खुद उसी मोह-माया में लिप्त हैं?
क्या आज की पीढ़ी को शिक्षा से कोई मतलब नहीं, जो हर दूसरा युवा ‘बाबा’ बनने की होड़ में है?
एक ऐसा व्यक्ति जो खुद ग्लैमर और पैसे में डूबा हो — क्या वो समाज का आदर्श (Role Model) हो सकता है?
एक लोकतांत्रिक देश में सबसे बड़ी ताकत यही है — हम सवाल कर सकते हैं।
और सवाल जरूरी भी है, क्योंकि धर्म का इस्तेमाल अगर ज्ञान देने के बजाय भ्रम फैलाने में होने लगे तो अंधभक्ति और अराजकता दोनों का खतरा पैदा हो सकता है।
श्रद्धा बनाम सवाल;
धीरेंद्र शास्त्री का नाम अब सिर्फ एक संत का नहीं, बल्कि एक सोशल फिनॉमिना बन चुका है।
जहाँ करोड़ों लोग उन्हें पूजते हैं, वहीं लाखों लोग उन्हें चुनौती भी दे रहे हैं।
यही लोकतंत्र की खूबसूरती है — श्रद्धा रखने का अधिकार भी है और सवाल उठाने का भी।