“Nitish Rajput: सच्चा ‘न्यूज़ गाइड’ या ‘चुपके से एजेंडा’ चला रहा है?”

क्या Nitish Rajput वाकई एक निष्पक्ष यूट्यूबर हैं या उनकी सामग्री कहीं गुपचुप तौर पर किसी विशेष पक्ष को बढ़ावा दे रही है? आइए जानते हैं उनके सफ़र, विवाद और सुनियोजित सफलता की कहानी—जीवन की सादगी से लेकर YouTube चैनल तक, एक ऐसा सफर जिसने लाखों इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

Nitish Rajput

कौन हैं Nitish Rajput?

  • जन्म: 4 अक्टूबर 1989, Sultanpur, उत्तर प्रदेश उनकी शिक्षा बी.टेक. (IT) – Gautam Buddha University
  • पेशेवर पृष्ठभूमि: पहले IT कंपनी में अनेकों वर्षों तक कार्यरत, फिर TikTok और YouTube पर कंटेंट क्रिएटर के रूप में सक्रिय ।
  • उनका YouTube चैनल 2020 में शुरू हुआ और कुछ ही समय में 3 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर हो गए
  • शिक्षा, समाज, राजनीति और इतिहास जैसे गंभीर विषयों पर वीडियो बनाकर उन्होंने खुद को एक जागरूक युवा आवाज़ के रूप में स्थापित किया।

Nitish Rajput लोकप्रिय वीडियो—वायरल क्यों?

  • Agnipath, Kerala Files, Amritpal Singh जैसे ट्रेंड कंटेंट—कुछ एक वीडियो ने 5 करोड़ से अधिक व्यूज़ बटोरे

Reality of Balochistan Issue”: यह वीडियो इतनी चर्चित हुई कि पाकिस्तान ने यूट्यूब पर ब्लॉक कर दिया और Nitish ने इसके नोटिस शेयर किए

उनकी अनुमानित नेटवर्थ लगभग ₹3–4 करोड़ मानी जाती है, जो YouTube, स्पॉन्सरशिप और किताबों से उत्पन्न हुई वे शादीशुदा हैं और डिजिटल कंपनी Pinega Infosystem Pvt Ltd के संस्थापक भी हैं

किताबें और पहल

  • “The Broken Fourth Pillar” (2021) – मीडिया की कमजोरियों पर
  • “The Broken Pillars of Democracy” (2022) – लोकतंत्र की चौंकाने वाले पहलुओं पर ये किताबें काफी चर्चित हुईं और लोकतंत्र को रिपेयर करने की उनकी भूमिका को रेखांकित किया।

ध्रुव राठी vs. नितीश राजपूत: यूट्यूब की वैचारिक जंग

सोशल मीडिया पर दो बड़े नाम – ध्रुव राठी और Nitish Rajput – इन दिनों एक अनकही वैचारिक लड़ाई के प्रतीक बन चुके हैं। जहाँ ध्रुव राठी अक्सर सरकार की नीतियों और फैसलों पर तीखी आलोचना करते हैं और खुद को प्रगतिशील और रिसर्च-बेस्ड क्रिएटर मानते हैं, वहीं नितीश राजपूत अपने वीडियो में अक्सर राष्ट्रवाद, संस्कृति और “सिस्टम की सच्चाई” को तथ्यों के ज़रिए सामने लाने की बात करते हैं।

कई बार Nitish Rajput के कुछ वीडियो, जैसे “The Truth about Kerala Files” या “India’s Judiciary System”, को ध्रुव राठी के विरोधी नैरेटिव के जवाब के रूप में देखा गया। जबकि ध्रुव ने सीधे तौर पर नितीश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके फॉलोअर्स और आलोचक इस ‘डिजिटल वैचारिक टकराव’ को खुलकर बहस का मुद्दा बना चुके हैं।

सोशल मीडिया पर अक्सर लोग दोनों को लेकर यह बहस करते हैं—कौन ज़्यादा निष्पक्ष है और कौन अपने एजेंडे को ‘तथ्य’ के नाम पर परोसता है? यह वैचारिक लड़ाई अब यूट्यूब की सीमाओं से निकलकर जनमानस की सोच को भी प्रभावित करने लगी है।

Nitish Rajput क्या वाकई बेदाग है?

नितीश राजपूत ने क्या कहा—अपने कंटेंट पर उनका दावा
1. “डेटा और वास्तविक तथ्यों पर आधारित राय”

नितीश कहते हैं कि उनका कंटेंट “डेटा-बेस्ड और रिसर्च-आधारित” होता है, न कि केवल भावनाओं या किसी एजेंडे पर आधारित। एक नए पॉडकास्ट में उन्होंने स्पष्ट किया: “I emphasize forming opinions based on data and facts…”

“स्पॉन्सर vs वास्तविकता — दोनों रखना ज़रूरी है”

एक इंटरव्यू में नितीश ने बताया कि मैडिया और यूट्यूब में स्पॉन्सरशिप जरूरी होती है, लेकिन किसी भी परिस्थिति में “मैं तथ्य और निष्पक्षता नहीं छोड़ता।”
यह उनका यह दावा है कि कॉन्टेंट में ईमानदारी बनी रहती है, चाहे व्यावसायिक दबाव क्यों न हो।

Nitish खुद को एक “न्यूट्रल और तथ्य-आधारित” यूट्यूबर कहते हैं।
लेकिन विवाद और आलोचना दोनों सामने आए:

“ये लेखा-जोखा नहीं—परत-दर-परत विश्लेषण”

कुछ साक्षात्कारों में नितीश ने स्पष्ट कहा कि उनका मकसद केवल सनसनी फैलाना नहीं, बल्कि “Issues के दोनों पक्षों पर analysis करना”
वे कहते हैं कि सिर्फ चुनावी या अस्थायी मुद्दों पर बात करना ही उनका मकसद नहीं—उनके विचार में गहराई जरूरी है।

सच्ची आवाज़ या सूक्ष्म रणनीति?

Nitish Rajput की वास्तविकता शायद बिल्कुल काले या सफेद रंग की नहीं है।
उनके समर्थक उन्हें एक रिपोर्टर के रूप में देखते हैं, जो निष्पक्षता और सच्चाई के लिए लड़ता है।
लेकिन आलोचक आरोप लगाते हैं कि उनकी कंटेंट शायद सूक्ष्म या अर्थपूर्ण तरीके से पक्ष को बढ़ावा देती है।

पर साफ बात ये है कि उनके वीडियो युवाओं को सोचने पर मजबूर करते हैं, चाहे वो पक्षपात के लिए हों या लोकतंत्र की जागरूकता के लिए।

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